अपनी लिखी एक छोटी सी कहानी को फिल्म के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.
आशा है आपको पसंद आएगा....
अवधि-3 मिनट ४० सेकंड Time: 3 Minutes 40 Sec
इंटरनेट की स्पीड धीमी है और फिल्म अगर लोड न हो रही हो तो विडियो सेटिंग में quality२४० कर लें इससे फिल्म जल्दी load हो जायेगी.
अपने सुझाव या टिप्पणी अवश्य दीजियेगा.
अच्छा प्रयास है।
ReplyDeleteसराहना हेतु धन्यवाद विकेश जी.
Deleteवाह...
ReplyDeleteइस रिसते घाव के साथ उम्र भर रहना होगा...
मार्मिक....
सादर
धन्यवाद यशोदा जी.
Deleteसादर
मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ..
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी.
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-08-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2431 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत -बहुत आभार दिलबाग जी.
Deleteअच्छी प्रस्तुति ... मर्म को छूती हुयी ...
ReplyDeleteशुक्रिया दिगंबर जी.
Deletecongrats a very good attempt
ReplyDeleteregards,
Deepak kumar
naturecarewellbeing.weebly.com
अल्पना जी ,कहानी ...आवाज़ बहुत बढ़िया है, मनस्थिति बयान हो रही है और मर्मस्पर्शी है। आपने इण्डिया आ कर ब्लॉग पर लिखा ही नहीं। परिस्थितियां बदलते ही बहुत कुछ बदल जाता है। मेरे हज्बैंड के रिटायरमेंट के बाद हम भी अभी सेटलमेंट से जूझ रहे हैं ,ब्लॉग लेखन अनियमित हो गया है। आपकी पोस्ट से आपके अन्दर से हिलने वाली स्थिति बयान हो रही है। दरअसल स्वीकार भाव के साथ उस हॉलोनेस को भरने के लिए कहीं खुद को कुछ मोटिवेशन देना पड़ेगा।और कुछ अच्छे से मित्र जो समझ सकें। वैसे ये यात्रा है तो अकेल की ही ना। मेरी बहुत सारी शुभकामनायें।
ReplyDeleteमाही की तरह ही है हम सब की हालत।
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