अभिलाषा
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गुज़रे पल से पूछते रहते जीवन की परिभाषा क्या है? तौलते रहते खुशियाँ अपनी, लगता एक तमाशा सा है सौदागर सी बातें करते, जान न पाए माशा क्या है! चलता जाए जीवन यूँ ही , रुकने की यह भाषा क्या है? खोज रहे हैं रस्ते सारे, सच मिल जाए आशा क्या है? मर मर के यूँ रोज़ का जीना , जीने की अभिलाषा क्या है? जिस पल जीना सीख गए फिर, आशा और निराशा क्या है? गुजरे पल से पूछते रहते जीवन की परिभाषा क्या है? ---------अल्पना वर्मा ----------- |
अब गीतों की ओर --
बहुत दिनों से कोई गीत पोस्ट नहीं किया था...इस लिए वह कमी पूरी करते हुए आज एक नहीं दो गीत प्रस्तुत हैं -
1-

'दिल हूम हूम करे '-फ़िल्म-रुदाली 'मूल गीत' लता जी और भूपेन हज़ारिका जी का गाया हुआ है. यहाँ मैं ने इस गीत को गाने का प्रयास किया है.आप भी सुनिये-:
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