विदाई
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देख रही हूँ ,
'उस को 'सीढियां उतरते हुए,
गले में लटकते सुनहरी तमगे,
हाथों में चन्द्र -विजय पताका भी है ,
गले में लटकते सुनहरी तमगे,
हाथों में चन्द्र -विजय पताका भी है ,
मगर ,
कदम भारी ,
नज़रें ग़मगीन हैं उस की,
बेगुनाहों की लाशों का वज़न उठाये
चला जाता नहीं उस से,
कदम भारी ,
नज़रें ग़मगीन हैं उस की,
बेगुनाहों की लाशों का वज़न उठाये
चला जाता नहीं उस से,
सर झुक गया इतना कि
रास्ता भी दिखता नहीं ।
रास्ता भी दिखता नहीं ।
हाँ ,
जा रहा है जो ,
वह साल२००८ है,
जा रहा है जो ,
वह साल२००८ है,
आईये ,
कर देते हैं उस को विदा- रोशनी दे कर,
घावों पर उस के मरहम रख कर।
कर देते हैं उस को विदा- रोशनी दे कर,
घावों पर उस के मरहम रख कर।
और प्रार्थना करते हैं कि
नव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
-अल्पना -
नव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
-अल्पना -
दिसम्बर से मार्च तक हर साल लगने वाले 'ग्लोबल-विल्लेज ,दुबई 'में भारत का पंडाल सब से बड़ा और सब से अधिक लोकप्रिय होता है.इस साल भी आयोजित इस मेले में भारत का पंडाल बहुत ही सुंदर सजाया गया है.देखिये भारत के पवेलियन की कुछ ताजा तस्वीरें-
कृत्रिम नहर के एक तरफ़ भारत और दूसरी तरफ़ मिस्र का पवेलियन
भारत का पवेलियन और आकाश में देखें आतिशबाजी
निकासी द्वार
स्वागत द्वार-
ALPANA JI NAMASTEY! SACH KAHU TO APKA NAM KALPANA HONA CHAHIYE THA. KHAIR APNE APNI KALPANA KO JIS ALPANA SE SAJAYA HAI WO KABILE TARIF TO HAI HI..SHIKSHAPRAD BHI HAI...DHANYABAD
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने.........
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दरता से आपने भावों को उकेरा है.सशक्त अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद..
रास्ता भी दिखता नहीं .हाँ ,
ReplyDeleteजा रहा है जो ,
वह साल२००८ है,
आईये ,
कर देते हैं उस को विदा रोशनी दे कर,
घावों पर उस के मरहम रख कर।
और प्रार्थना करते हैं ,कि
नव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
" गहरी पीढा की अनुभूति करा गयी ये पंक्तियाँ... सच कहा २००८ जाते जाते ऐसा दर्द दे गया है जो भुलाये नही भूलेगा..."'ग्लोबल-विल्लेज ,दुबई 'में भारत का पांडाल बहुत सुंदर लगा.."
Regards
२००८ बीतने वाला है ..२००९ सब के लिए शुभ हो यही दुआ है .
ReplyDeleteकविता जहाँ भावुक कर देती है.....चित्र मन में गौरव सा भर देते है......
ReplyDeleteआपका याहू आई डी काम नही कर रहा है क्या ?
बहुत सुन्दर भाव प्रवण कविता और चित्र बडे मनोहारी हैं !
ReplyDeleteराम राम !
बहुत अच्छी तरह विदा कर रही हैं आप वर्ष 2008 को...और हमारी भी प्रार्थना है कि नया वर्ष सबके लिए खुशियों भरा हो ,ग्लोबल विलेज दुबई में लगी भारत के पंडाल की तस्वीरें बहुत सुंदर लगी....धन्यवाद।
ReplyDeleteरचना के बीच तक पता ही नही चला कि आप गए साल की बात कर रही है। यही कमाल होता है अच्छी रचना का। बहुत अच्छा लिखा है आपने। उम्मीद करते है कि आने वाला साल बहुत ही खूबसूरत होगा। चित्र भी अच्छे है।
ReplyDeletekhoobasoorat abhivyakti. foto bade achche hai.dhanyawad.
ReplyDeleteआपकी शुभेच्छा में हम भी शामिल हैं.
ReplyDeleteकविता के क्या कहने !!!!
ReplyDeleteचित्रों को देख कर अच्छा लगा !!!
नए वर्ष की बधाई!!!
रोचक, उधृत करने के लिये शब्द उठाने पर पॉप अप बॉक्स कहता है - you are welcome.Have a nice day.
ReplyDeleteऔर ऊपर विजेट बताता है कि तेरह दिन शेष हैं नव वर्ष को। अच्छा लगा!
पर मेरे फीडरीडर पर ब्लॉग की पूरी फीड कापी होना सम्भव है! :-)
ReplyDeleteइस साल ने अगर सबसे ज्यादा कुछ दिया है तो आतंकवाद। आपकी लाइनों में अगले साल के लिए मंगलकामना का संदेश मोहक है, लेकिन इस खुशहाली के लिए ज़रूरी है राजनीतिक इच्छाशक्ति। आतंकवाद से टकराने के लिए एक सुनियोजित योजना। इसलिए उम्मीद तो फिर भी लोकतांत्रिक सरकार पर ही जाकर ठहरती है।
ReplyDeleteअच्छी कविता। तस्वीरें देखकर भी काफी अच्छा लगा। नए वषॆ की अग्रिम बधाई।
ReplyDeletekqavitaa aur nav varsh ki badhai
ReplyDeleteबहुत बढिया।
ReplyDeleteइस आलेख में आखिरी फोटो तो भारत के "स्वागत द्वार" की है.....और लेखिका पुराने वर्ष को विदा दे रहीं हैं.....नए के स्वागत द्वार से पुराने को विदा.....!!??क्या अद्भुत संयोग है......हा..हा..हा..हा..हा..मज़ा आ गया...!!
ReplyDeleteकर देते हैं उस को विदा रोशनी दे कर,
ReplyDeleteघावों पर उस के मरहम रख कर
और प्रार्थना करते हैं, कि
नव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
बहुत ही भावपूर्ण कविता है। चारों ही चित्र बड़े अच्छे लगे।
नव वर्ष की बधाई!
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने, सुंदर चित्र देख कर मन खुश हो गया, लेकिन अन्तिम चित्र देख कर मन उदास हो गया कही भी हिन्दी मै नही लिखा **भारत** मै तो अपने भारत को ही प्यार करता हूं,
ReplyDeleteधन्यवाद
नव वर्ष की प्रतीक्षा रहेगी -
ReplyDeleteआप के भा
व सहज व सामायिक हैँ ,
चित्रोँ के लिये भी धन्यवाद जी :)
स स्नेह,
- लावण्या
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद .
ReplyDelete@ज्ञान sir जी मैंने राईट क्लिक disable सिर्फ़ फोटो के लिए लगाये हैं.टेक्स्ट के लिए नहीं.
टेक्स्ट को highlight कर के एडिट से भी कॉपी कर सकते हैं.मैं जानती हूँ एक बार नेट पर जो गया वो गया.
ये सब तो दिल को तसल्ली देने के टूल हैं.केवल सिंगल layer प्रोटेक्शन.
आप को धन्यवाद इस ओर ध्यान दिलाने हेतु .
@मधुकर जी आप की बात से सहमत हूँ.
@भूतनाथ जी मैं ने पहले पुराने वर्ष की विदाई की है फिर अंत में स्वागत द्वार नव वर्ष के लिए खुले रखे हैं.
आप ने इस क्रम को एक ओर नजरिये से नया अर्थ दे दिया..वाह!
@हाँ राज जी यह मैं ने भी नोट किया था की क्यूँ कहीं भी चार साइड में इंडिया ओर अरबिक में अल हिंद लिखा है लेकिन हिन्दी में 'भारत कहीं नहीं --किस को पूछें?? जब कि आप को आश्चर्य नहीं होगा की यहाँ अरब में हिन्दी फिल्मों का जो क्रेज है उस के चलते हर तीसरा अरब थोडी बहुत हिन्दी जानता है.इस लिए हिन्दी भाषा से basically तो ये प्यार करते हैं.
कुछ भी हो बहुत अच्छा लगता है इस ग्लोबल विल्लेज में जा कर--यही समय होता है जब यहाँ स्टाल में मक्की की रोटी ओर सरसों का साग या कुल्ल्हड़ में मसाले वाली चाय मिलती है.पानी पूरी उत्तर भारत के स्वाद वाले मिलते हैं.---alpana
शानदार अभिव्यक्ति..2009 सभी के लिए नई उम्मीदें लाएगा। दुबई की सैर कराने का शुक्रिया।
ReplyDeleteबहुत अच्छे!
ReplyDeleteAlpna Ji
ReplyDeleteNamaste !
Aap ek bar Bihar ka daura jaroor kare aur apne kavita ke madhyam se Bihar kee Rajnit mein aye.
बहुत बहुत बहुत सुंदर... ये दिल से की गयी टिप्पणी है..
ReplyDeleteतस्वीरो ने वाहा आने की लालसा जगा दी है
रास्ता भी दिखता नहीं .हाँ ,
ReplyDeleteजा रहा है जो ,
वह साल२००८ है,
आईये ,
कर देते हैं उस को विदा रोशनी दे कर,
घावों पर उस के मरहम रख कर।
और प्रार्थना करते हैं ,कि
नव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
वाह अल्पना जी बहुत ही सुंदर शब्दों का इस्तेमाल किया और बनाई यह बेहतरीन रचना जिसके लिए आपको बारम्बार बधाई
नैराश्य चिंतन नही और न मेरा कोई नकारात्मक सोच है मगर जाते हुए साल को मरहम लगाने की वजाय,नया वर्ष जो घाव देगा उस वास्ते भी मरहम सम्हाल कर और उसे संशोधित करके रखना बुरा न होगा
ReplyDeleteबहुत सुंदर.......
ReplyDelete२००८ की दास्ताँ बहुत अनोखे अंदाज़ में करी
ReplyDeleteआपका अंदाजे बयाँ सबसे जुदा है
बेगुनाहों की लाशों का वज़न उठाये
चला जाता नहीं उस से,
२००८ की ये त्रासदी है,
उम्मीद है २००९ मज़बूत दीवार खड़ा करेगा २००८ की नींव पर
ग्लोबल विलेज के चित्र सुंदर हैं, भारत का पंडाल बहुत सुंदर है, मैंने भी देखा है
शुक्रिया सुंदर चित्रों का
बहुत सुंदर रचना साल को विदा देती हुयी ...... साथ ही सुंदर तस्वीरों की अप्रतिम झांकी
ReplyDeleteधन्यबाद
और प्रार्थना करते हैं ,कि
ReplyDeleteनव वर्ष उजाले नए ले कर आए।
आमीन....काश अगला वर्ष सिर्फ़ खुशियाँ और खुशियाँ ही लाये....
भारतीय पंडाल के चित्र बहुत आकर्षक लगे...
नीरज
bahut achchi kavita!or tasvir bhi bahut achcha laga!dhanyvad!
ReplyDeleteमनभावन तस्वीरें.......
ReplyDeleteवर्ष विदाई की काव्यांजली अच्छी है...
बधाई...
kavita bahut bhaavpoorn hai , man ko choo gayi hai .....
ReplyDeleteappko bahut badhai...
vijay
pls visit my blog for new poems: http://poemsofvijay.blogspot.com/
नमस्कार।
ReplyDeleteआपको जानकर प्रसन्नता होगी कि विज्ञान और प्रौद्यौगिकी के प्रचार प्रसार एवं इससे जुडे ब्लॉगर्स के अधिकारों के संरक्षण के लिए 'साइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया' का गठन किया गया है।
यह संस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार को बढावा देने वाले लोगों के हितों के संरक्षण का कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त विज्ञान संचार के लिए आम जन को प्रेरित करने,
इंटरनेट पर हिन्दी ब्लॉग लेखन को बढावा देने, ब्लॉग निर्माण सम्बंधी तकनीकी जानकारियां आम जन तक पहुंचाने, ब्लॉगर्स की तकनीकी / व्यवहारिक समस्याओं को सुलझाने का भी कार्य करेगी।
आपके इस दिशा में किये गये महती कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए संस्था आपको 'साइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया' की मानद सदस्यता प्रदान करती है। यदि आप इससे जुडने हेतु सहमति प्रदान करें, तो हमें अति प्रसन्नता होगी।
आपका प्रोत्साहन हमारे विश्वास को नया बल प्रदान करेगा।
सादर,
जाकिर अली 'रजनीश'
सचिव
साइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया
sciblogindia@gmail.com
मेरे कार्यों को रजनीश जी ने योग्य समझा इसके लिये धन्यवाद!
ReplyDeleteसाइंस ब्लॉगर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की किसी भी प्रकार की सेवा करके मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी।-alpana
bahot hi badhiya kavita likha hai aapne bidai pe bahot khub ,dhero badhai aako...
ReplyDeleteregards
arsh
wah aap bahut achha likhti hain. mera pehli bar yahan aana hua hai...aaker achha laga.kabhi free hon to mujhe bhu guide ker den. mujhe achha lagega.
ReplyDeletehttp://pupadhyay.blogspot.com/2008/12/blog-post_24.html
अल्पना जी
ReplyDeleteआज राजस्थान पत्रिका के परिवार अंक में आपके बारे में जानकारी प्राप्त हुई। आप हिन्दी जगत के लिए काम कर रहीं हैं इसके लिए आपको बधाई।
डॉ श्रीमती अजित गुप्ता
उदयपुर राजस्थान
apake shabdo me jadu hai..........
ReplyDeletehar ek labj ek nayi dastan bayan karati hai........
nav varsh mangalmay ho
समझदार रचना..सही सोच
ReplyDeletewww.pyasasajal.blogspot.com
waah dono sundar rachana aur pictures bhi.
ReplyDeleteबहुत अच्छे ................
ReplyDelete