Vyom ke Paar...व्योम के पार
कल्पना के पर लगा ,मन सारथी ले संग...विचरती मैं .. व्योम के पार ...
थोडा और विस्तार..
(Move to ...)
Home
कल्पना के परों पर Poetry gatherings
गतिविधियाँ Social Activities
छपते-छपाते Blog in News
पढ़ना-पढ़ाना Educational Activities
▼
April 1, 2015
आस का दीप!
आजकल के जो सामाजिक हालात हैं ऐसे में खुल कर, खिलकर खुलकर जी पाना /उत्सव मनाना शायद हर किसी के बस में नहीं या हर किसी के दिल में अब वो उत्साह भी नहीं है !कुछ लिखने का प्रयास किया है ,
कविता जैसा बन पड़ा है..संशोधन हेतु सुझाव आमंत्रित हैं.
‹
›
Home
View web version