थोडा और विस्तार..

April 21, 2014

'यथा राजा तथा प्रजा'


अजब इत्तेफ़ाक़ है मूर्ख दिवस  अर्थात अप्रैल एक से नए शैक्षणिक सत्र  शुरुआत हुई. पिछले सत्र की उथल -पुथल से अभी उबरे भी नहीं थे कि  नया सत्र आरम्भ हो गया.कुछ नए नियम कानून लिए। नयी उलझने, नयी चुनौतियाँ लिए ! :(


यह तो हर क्षेत्र में होता ही होगा इस लिए इस विषय पर अधिक न बात करें तो बेहतर !
फिलहाल मौसम चुनावों का है.  अब चुनाव यहाँ तो नहीं हैं लेकिन हम भारत में तो हैं सच कहूँ तो  हम सही मायनो में देश से से दूर ही कब हुए ?यहाँ  अनिश्चितता में प्रवासी सालों गुज़ार देते हैं ऐसे भी हैं जिनकी दूसरी पीढ़ी भी यहीं  रह गयी है। हर प्रवासी निगाहें उठाये यह उम्मीद लगाये रहता है कि  कभी तो हालात इतने बेहतर होंगे कि  अपने  देश लौटा जा सके !
जब से गए हैं तब से अब तक आम  नागरिक को मिलने वाली  मूलभूत सुविधाओं में कोई
सुधार नहीं दीखता।  वही  बिजली पानी की समस्या वही स्वास्थ्य सुविधाओं का सुलभ न होना और वही जान-  माल की सुरक्षा की चिंता!

अन्ना दिल्ली आये तो लगा  बहुत बड़ी क्रांति होने जा रही है लेकिन वहां  एक नाटकीय तरीके से केजरीवाल का आगमन हुआ। लोगों  की तमाम सहनुभूतियां  और उमीदें जैसे उन्हीं पर केंद्रित हो गयी और ये भी किसी ने ठंडे दिमाग से नहीं सोचा कि  क्यों अन्ना ,किरण बेदी और जनरल वी के सिंह जैसे बुद्धिजीवी उनसे किनारा कर गए !सब को लगा की यह कोई जादूगर है जो रातों रात सरे भ्र्ष्टाचार को ठीक कर देगा।

सारी जनता ने मिलकर नवोदित नेता को सर आँखों पर बिठा लिया और दिल्ली के मंत्री की कुर्सी तक पहुंचा भी दिया लेकिन जनता के विश्वास को तोड़ कर वह एक लम्बी छलांग लेने लोक सभा के चुनाव में कूद पड़ा !
धीरे धीरे उनकी  महत्वाकांक्षाओं और व्यक्ति विशेष का ही विरोध किया जा व् अन्य  सच्चाई सामने आने लगी। । लगा कि यह भी एक अन्य  सामान्य नेता ही है जो दूसरों की बुराई कर कर के अपने को बेहतर  साबित करने में लगे हैं।
एक मौका जनता ने दिया था काम करके दिखाते लेकिन नहीं उन्हें तो कुछ ऐसा करना था जिससे काम से काम इतिहास में हमेशा के लिए नाम हो जाए।  एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ खड़े हुए जिस के विरोध में भी कोई बोले तो उसका वैसे ही  नाम हो जाता है प्रचार मिल ही जाता है।


इस चुनाव में सोशल मीडिया के हावी होने से लोगों की व्यक्तिगत पसंद नापसंद उनके व्यक्तिगत संबंधों पर भी बुरा असर डालने लगी। आप किसी एक पक्ष के बारे में कहते हैं और आप का मित्र उसे पसंद नहीं करता वहीं तकरार हो जाती है और सम्बन्ध विच्छेद !जबकि १६ मई के बाद  जो होगा सो होगा न इस पक्ष का कोई नेता आप के संबंधों को सुधरने आएगा न उस पक्ष का कोई नेता !फेसबुक पर ऐसे वाद विवाद आम हो गए हैं !

दूसरा नतीज़ों से पूर्व के जो चुनावी विश्लेषण या सर्वे रिपोर्ट दिखाई जाती हैं वो भी बंद होनी चाहिए। पिछले चुनावों में भी एक पार्टी विशेष के लिए झुकाव दिखाया जाता रहा और उस पार्टी के समर्थक आराम से घर बैठे रहे कि  जीत ही रही मैं एक वोट  नहीं दूंगा तो क्या हो जाएगा! और वास्तविक नतीजे आने पर सारे अनुमानों पर पानी फिर गया. भारतीय बहुत ही भावुक होते हैं जितनी जल्दी वे रो सकते हैं उतनी जल्दी अावेश में भी आ जाते हैं। इन्हीं का फायदा मीडिआ और मीडिआ की खबरों के सौदागर करते हैं।

इस बार भी इसी तरह के चुनावी सर्वे आये हैं और यकीनन अगर लोग सचेत न रहे तो उनकी पसंद की पार्टी फिर से हार सकती है या बिना बहुमत के बैसाखी वाली सरकार बनाने पर मजबूर हो सकती है। यह याद रखना चाहिए कि  बिना बहुमत के कोई भी सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर सकेगी और भारत का वही हाल रहेगा कुछ बदलेगा तो नहीं !

अभी जिन क्षेत्रों में भी मतदान बाकी  है उन सभी मतदाताओं  से अनुरोध है कि  वे मतदान अवश्य करें और  देश हित  में करें और प्रयास करें कि  एक ही पार्टी बहुमत से सरकार बनाये। इस बार प्रधानमंत्री पद के उम्म्मीद्वार को देखकर उसे ध्यान में रख कर वोट दें।

मेरे मत जानना चाहेंगे तो मैं नरेंद्र मोदी जी की सरकार चाहती हूँ। इतने वर्षों हमने कांग्रेस और मिली जुली सरकारों क राज देखा अब की बार सभी भारतियों को मिललकर मोदी जी को समर्थन देना चाहिए।
गुजरात के उनके १२ साल में हुए  विकास के बारे में यहाँ रह रहे गुजरातियों से ही बहुत सुन चुके हैं ,यहाँ के अख़बार में भी एक बार वहां की चौड़ी बढ़िया सड़कों ,साफ़ सफाई की तरफ लिखी गयी थी।

क्यों नहीं इस बार सब मिलकर इन आखिरी चरणो के मतदान में मोदी जी की स्थिति मजबूत करते?
याद रखिये कि    कुशल नेतृत्व होगा तो ही कोई तंत्र दुरुस्त हो सकता है।  
सुना ही होगा  'यथा राजा तथा प्रजा !'

आप के विचार भिन्न हो सकते हैं.मेरे भिन्न। इसलिए कोई भी ऐसी टिप्पणी जो आपत्तिजनक होगी वह हटा दी जायेगी।  आप की पसंद और मेरी पसंद अलग हो सकती है इसलिए आप को मेरी बात पसंद नहीं आई तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं।
अनुरोध यही है कि  फेसबुक ट्विटर पर समर्थन देने वाले मतदान केन्द्रों में भी जा कर मत दें यह सोच कर न बैठे रहें कि  किसी  सर्वे के अनुसार इतनी सीटें मिलेंगी  ही तो एक वोट नहीं देने  से फर्क नहीं पड़ेगा!हर वोट कीमती है.नयी सरकार से यह उम्मीद है कि अगले चुनावों में  विदेशों में रहें वाले भारतीय  भी वोट दे सकें ऐसी व्यवस्था करने का  अनुरोध है।
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16 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (22-04-2014) को "वायदों की गंध तो फैली हुई है दूर तक" (चर्चा मंच-1590) (चर्चा मंच-1589) पर भी है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मोदी ने अपने आपको ओवरएक्‍पोज़ कर लि‍या है, जो कल तक इनके साथ वे आज सोचने लगे हें

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  3. सार्थक अपील!

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  4. चुनाव कि प्रक्रिया है तो किसी न किसी का चुनाव तो होगा पर लोकतंत्र के इस खेल के नियम इतने कमजोर हैं कि सत्ता पक्ष वाले, या विशेष तरह के लोग आसानी से इन नियमों को अपने अनुसार मोड लेते हैं ...
    बरहाल आपकी अपील सामयिक और सार्थक है ...

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  5. आपने एकदम सही कहा कि सर्वे देखकर कोई भी व्‍यक्ति को खुद को मतदान नहीं करने से रोके। हर व्‍यक्ति मतदान करे। आशा है नई सरकार इस बारे में अवश्‍य सोचेगी कि विदेश में रह रहे भारतीय मूल के लोग भी भारत के आम चुनावों के साथ-साथ कई अन्‍य प्रकार के चुनावों में भागीदारी कर सकें।

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  6. आपको वैसी ही सरकार मिलती है जैसी आप की योग्यता है। गलत लोगों के चयन के लिए भी जिम्मेदार आप ही हैं, क्योंकि आप सही को वोट नहीं देते। लोकतंत्र में एक-एक वोट की बहुत अहमियत है। मतदान जरूर करें और अच्छे को और सच्चे को चुनें। अब तो नोटा का भी विकल्प है।

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  7. सुंदर सार्थक सामयिक लेख के लिए साधुवाद !

    अब तो चंद दिन बाकी हैं


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  8. काश! हम सब जाति, धर्म और निजी स्वार्थ
    से ऊपर उठ कर अपना वोट देश हित में दे पायें.

    आपकी बेबाक अपील अच्छी लगी.

    आभार अल्पना जी.

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  9. अगली सरकार मोदी के नेतृत्व में बनेगी ऐसी संभावनाएं ज्यादा हैं पर भारतीय लोकतंत्र में जातिवाद अभी तक सभी समीकरण बिगाडता आया है और इस बार युवा वोटर बिगाड सकता है. मोदी की सरकार बने यह भारत के लिये शुभ ही होगा.

    रामराम.

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  10. यू गेट द गवर्नमेन्ट यू डिझर्व या वही मिलेगा जिसके आप हकदार हैं।

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  11. अब बेसब्री से परिणामों का इंतजार है..सुंदर प्रस्तुति।।।

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  12. आप के और हम सबकी आकांक्षा के अनुरूप सरकार बन रही है, सबसे बड़ी बात की इस बार जाती और धर्म की राजनीति करने वालों ने अच्छा सबक सीखा है परन्तु अभी भी कुछ कुत्सित विचार वाले हैं जिन्हें ये सरकार और मोदी दोनों फूटी आँखों नहीं सुहा रहे हैं|उन्हें मोदी की मेहनत और पूर्व में किया गया काम नहीं दिख रहा है....बेहद उम्दा लेख और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)

    आप के कमेन्ट रिकार्डिंग के सम्बन्ध में जो कमी लगे वो जरुर जानना चाहूँगा...

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  13. जीत गये मोदी जी। अब आयेंगे भारत के अच्छे दिन।

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  14. आपकी इच्छा पूरी हुई ।

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  15. बहुत हि अच्छी जानकारी।

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना