थोडा और विस्तार..

August 8, 2013

सात हाइकु

अगस्त शुरू हुए एक हफ्ता गुज़र गया ,स्कूलों के ग्रीष्म अवकाश की आधी अवधि भी समाप्त हो गयी !छुट्टियाँ शुरू होने से पहले ही कई योजनाएँ बनती हैं कि ये करेंगे वो करेंगे ..मैंने भी बनायी थीं कई सारी.… .कुछ पूरी हुईं अधिकतर  अधूरी हैं..

जैसे कई किताबें रखी थीं अलमारी से निकाल कर.. मेज़ पर सामने कि सब को इस बार पढ़ सकूँगी लेकिन लगता नहीं कि इस बार भी इन्हें पूरा कर सकूँगी ! छुट्टियों का आखिरी महीना वैसे भी बहुत तेज़ी से ख़तम हो जाता है. कुछ हायकु लिखे थे ..उन में से ७ आज प्रस्तुत हैं.....
 हाइकु  .. --; 
१-
तप्त गगन 
अतृप्त वसुंधरा 
बिरहनी सी 

२-
हताश हल 
हारे कृषक दल
बंजर धरती !


३-
ओस की बूँदें 
चमकते से मोती 
रोई थी रात 


४-
न कहा -सुना 
गलतफहमियाँ
टूटे संबंध 

५-
विदाई गीत

नवजीवन प्रवेश

छूटा पीहर  

६-
सूर्य अगन 
व्याकुल संसार 
बरसों मेघ! 

७-
निशब्द दोनों 
होता रहा  संवाद 
प्रीत उत्पन्न
~~-अल्पना वर्मा ~~

जो पाठक इस विधा के विषय में नहीं जानते उनके लिए हाइकु कविता  के संबंध में संक्षिप्त जानकारी-:
  • हाइकु/हायकू  हिन्दी में १७ अक्षरों में लिखी जानेवाली सब से छोटी कविता है
  • तीन पंक्तियों में पहली और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर और दूसरी पंक्ति में ७ अक्षर होने चाहिये
  • संयुक्त अक्षर ex:-प्र. क्र , क्त ,द्ध आदि को एक अक्षर/वर्ण गिना जाता है
  • शर्त यह भी है कि तीनो पंक्तियाँ अपने आप में पूर्ण हों.[न की एक ही पंक्ति को तीन वाक्यों में तोड़ कर लिख दिया.]
  • हाइकु कविता ' क्षणिका' नहीं कहलाती क्यूंकि क्षणिका लिखने में ये शर्तें नहीं होतीं।

20 comments:

  1. अच्छे लगे सातों हाइकू।

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  2. अक्सर छुट्टियों का गणित गडबडा ही जाता है, सारे सोचे गये कार्य पूरे किसी के भी नही होते,

    सभी हाइकू अपने आप मे संपूर्ण अर्थ समेटे हुये हैं, बहुत ही सारवान.

    रामराम.

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  3. सभी हायकू बहुत ही सुन्दर हैं..

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  4. बहुत खूब ..
    हाइकू की जानकारी देकर अच्छा किया !!
    आभार !

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  5. पहली बार सुना , नई जानकारी ,धन्यबाद

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  6. निशब्द दोनों
    होता रहा संवाद
    प्रीत उत्पन्न

    बेहतरीन हाइकू ,,,

    RECENT POST : तस्वीर नही बदली

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  7. विचारणीय और सार्थक हाइकू

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  8. बहुत ही अच्छे लगे ,,सभी हायकू |
    http://drakyadav.blogspot.in/

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  9. हाइकू भी सुडोकु जैसा लगता है

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  10. ओस की बूँदें
    चमकते से मोती
    रोई थी रात


    वाह :)

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  11. पृथ्वी की आस पूर्ण होगी..सुन्दर हाईकू..

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  12. बहुत ही सुंदर हाइकु ! ५वें और ७वें ने विशेषरूप से प्रभावित किया ।

    मैं भी हाइकु लिखती हूँ । कभी "वीथी" पर पधारिएगा -
    http://sushilashivran.blogspot.in/2013/07/1-2-3.html

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  13. ओस की बूँदें
    चमकते से मोती
    रोई थी रात

    वाह!

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  14. ओस की बूँदें
    चमकते से मोती
    रोई थी रात ...

    लाजवाब सभी हाइकू ... कमाल की विधा है ये ... इतने कम शब्दों में पूर्णतः बयाँ करना ...

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  15. निशब्द दोनों
    होता रहा संवाद
    प्रीत उत्पन्न
    क्या बात है निःशब्द संवाद :-)
    यही तो है न गागर में सागर भरने की कुशलता -
    एक एक हायकू बस निःशब्द करती हुई !

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  16. बहुत ही सुंदर हाइकु पढने को मिले अल्पना जी ...लम्बे अंतराल के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ आज

    संजय भास्कर
    शबों की मुस्कराहट

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना