[चित्र साभार - गूगल ] वक़्त को कई बार रूप बदलते देखा है. |
चलते चलते एक त्रिवेणी लिखने की कोशिश -: वो चाँद ही था जो ले जाता था पैग़ाम मेरे , सुना है रुसवा बहुत चांदनी ने किया है उसे! |
[चित्र साभार - गूगल ] वक़्त को कई बार रूप बदलते देखा है. |
चलते चलते एक त्रिवेणी लिखने की कोशिश -: वो चाँद ही था जो ले जाता था पैग़ाम मेरे , सुना है रुसवा बहुत चांदनी ने किया है उसे! |