प्यार का दरिया बहाओ,तो कुछ बात बने,
वीरान बस्ती को बसाओ,तो कुछ बात बने.
ख़ुद से करते हो क्यूं दिल की हर बात ,
अपना हमराज़ बनाओ तो कुछ बात बने .
पराई रोशनी से करते हो घर को रोशन?,
अपने अंधेरो को जलाओ तो कुछ बात बने .
नफ़रतो की आग में तन जलता है बहुत ,
प्यार हर दिल में बसाओ तो कुछ बात बने.
क्यूं उठाते हो मुठ्ठी की शक्ल में आवाज़ें ,
क़लम हथियार बनाओ तो कुछ बात बने.
सिक्कों की खनक से मुस्कराता नहीं आंसू ,
हँसता हुआ गीत सुनाओ तो कुछ बात बने .
वो फ़र्श जिस पर बहा है लहू मासूमो का ,
गवाह उस को ही बनाओ तो कुछ बात बने.
क्यूं अंधेरे उजालों पर हरदम हावी हों ,
अमावास में चाँद खिलाओ तो कुछ बात बने.
जिसकी पलकें नम ,दिल में परेशानियाँ हैं ,
'अल्प'उसको जो हंसाओ,तो कुछ बात बने .
-Alpana Verma